आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में, तनाव और चिंता हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुके हैं। हम अक्सर अपने काम, रिश्ते और भविष्य की फिक्र में इतने डूब जाते हैं कि यह भूल जाते हैं कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य का सीधा असर हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। क्या आपने कभी महसूस किया है कि जब आप बहुत गुस्से में होते हैं या बहुत चिंतित होते हैं, तो आपका दिल तेज़ी से धड़कने लगता है? यही वो क्षण है जब आपका शरीर आपको खतरे का संकेत दे रहा होता है। यह एक वैज्ञानिक सच्चाई है कि गुस्सा और चिंता बढ़ा रहे हैं ब्लड प्रेशर — जानिए मन को शांत रखने के 7 योगासन अपनाकर ही हम इस गंभीर समस्या पर काबू पा सकते हैं।
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| गुस्सा और चिंता बढ़ा रहे हैं ब्लड प्रेशर — जानिए मन को शांत रखने के 7 योगासन |
हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension) जिसे उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, आज एक महामारी बन चुका है, और इसका सबसे बड़ा कारण हमारी अनियंत्रित भावनाएँ हैं। हमारा यह लेख आपको सिर्फ योगासनों के बारे में नहीं बताएगा, बल्कि यह भी समझाएगा कि अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना क्यों आवश्यक है, क्योंकि भावनाओं को काबू में रखना ही असली हेल्थ मंत्र है। आइए, इस विस्तृत लेख में समझते हैं कि कैसे योग के माध्यम से आप अपने मन को शांत कर सकते हैं और ब्लड प्रेशर को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित कर सकते हैं।
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ब्लड प्रेशर और मानसिक तनाव का गहरा संबंध
चिकित्सा विज्ञान में यह स्थापित हो चुका है कि तनाव, चिंता और गुस्सा सीधे तौर पर आपके हृदय प्रणाली (Cardiovascular System) को प्रभावित करते हैं। जब हम तनाव में होते हैं, तो हमारा शरीर 'फाइट या फ्लाइट' (Fight or Flight) मोड में चला जाता है।
यह एक प्राचीन उत्तरजीविता तंत्र (survival mechanism) है, जो जंगली जानवरों के खतरे से निपटने के लिए विकसित हुआ था। लेकिन आज, हमारे "खतरे" एक ऑफिस ईमेल, एक ट्रैफिक जाम, या एक छोटी सी बहस होते हैं। इन आधुनिक "खतरों" के जवाब में भी हमारा शरीर उसी तरह प्रतिक्रिया करता है।
हाई बीपी क्यों होता है?
गुस्सा या चिंता महसूस होते ही, हमारा मस्तिष्क अधिवृक्क ग्रंथियों (Adrenal Glands) को कॉर्टिसोल (Cortisol) और एड्रेनालिन (Adrenaline) जैसे स्ट्रेस हार्मोन जारी करने का संकेत देता है। ये हार्मोन तात्कालिक ऊर्जा प्रदान करने के लिए कई शारीरिक बदलाव लाते हैं:
दिल की धड़कन बढ़ जाती है।
रक्त वाहिकाएं (Blood Vessels) संकरी हो जाती हैं।
मांसपेशियों में तनाव बढ़ जाता है।
इन सभी कारकों के कारण रक्त का प्रवाह दबाव के साथ होता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। यदि यह स्थिति बार-बार या लंबे समय तक बनी रहे, तो रक्त वाहिकाओं की आंतरिक परतें क्षतिग्रस्त होने लगती हैं, जिससे स्थायी उच्च रक्तचाप (Chronic Hypertension) की समस्या हो जाती है।
यह न सिर्फ हृदय रोग, बल्कि स्ट्रोक और किडनी फेलियर का भी कारण बन सकता है। उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए तनाव प्रबंधन सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है।
स्ट्रेस हार्मोन और बीपी पर उनका असर
कॉर्टिसोल को 'स्ट्रेस हार्मोन' कहा जाता है। इसका लंबे समय तक उच्च स्तर पर रहना शरीर के लगभग हर कार्य को बिगाड़ता है। यह न केवल बीपी बढ़ाता है, बल्कि प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को कमजोर करता है और पेट की समस्याओं को जन्म देता है। दूसरी ओर, एड्रेनालिन एक त्वरित प्रतिक्रिया हार्मोन है।
यह अचानक गुस्से या डर के समय तेजी से रिलीज़ होता है, जिससे बीपी तुरंत ऊपर चला जाता है। योग और ध्यान इन हार्मोनों के उत्पादन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, जिससे शरीर धीरे-धीरे शांत अवस्था (Parasympathetic State) में वापस आ जाता है, जिसे 'आराम और पाचन' (Rest and Digest) अवस्था भी कहते हैं। तनाव को सिर्फ 'फीलिंग' समझना बंद करना होगा; यह एक जैविक प्रक्रिया है जो आपके जीवनकाल को कम कर सकती है।
भावनाओं को काबू में रखने का महत्व
जैसा कि हमने पहले कहा, भावनाओं को काबू में रखना ही असली हेल्थ मंत्र है। यह सिर्फ एक आध्यात्मिक बात नहीं, बल्कि एक व्यावहारिक स्वास्थ्य सलाह है। जब आप अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखते हैं, तो आप खुद को उस 'फाइट या फ्लाइट' चक्र से बाहर निकाल लेते हैं। आप प्रतिक्रिया करने के बजाय सोच-समझकर जवाब देते हैं।
गुस्सा कैसे एक ज़हर है?
गुस्सा एक सामान्य मानवीय भावना है, लेकिन जब यह बेकाबू हो जाता है, तो यह शरीर के लिए धीमे ज़हर की तरह काम करता है। लगातार गुस्सा करने वाले लोग न केवल अपने आस-पास के रिश्तों को खराब करते हैं, बल्कि अपने दिल को भी खतरे में डालते हैं।
गुस्से के कारण होने वाले रक्तचाप में तीव्र वृद्धि हृदय पर अत्यधिक बोझ डालती है। यदि कोई व्यक्ति पहले से ही हृदय रोग से पीड़ित है, तो गुस्से का एक तीव्र दौरा दिल का दौरा (Heart Attack) या स्ट्रोक को ट्रिगर कर सकता है। योग हमें सहनशीलता सिखाता है और हमें वर्तमान क्षण में जीना सिखाता है, जिससे गुस्सा करने की प्रवृत्ति कम होती है।
चिंता और अनिद्रा का चक्र
चिंता (Anxiety) अक्सर भविष्य की काल्पनिक समस्याओं के बारे में सोचने से पैदा होती है। यह एक सतत मानसिक गतिविधि है जो मस्तिष्क को कभी आराम नहीं लेने देती। चिंताग्रस्त व्यक्ति अक्सर अनिद्रा (Insomnia) का शिकार हो जाता है।
नींद की कमी शरीर के लिए एक और बड़ा तनाव है। नींद पूरी न होने पर कॉर्टिसोल का स्तर रात भर उच्च बना रहता है, जो सुबह उठने पर भी हाई बीपी का कारण बनता है। योग, विशेष रूप से शवासन और योग निद्रा, इस चक्र को तोड़ने में मदद करते हैं, जिससे गहरी नींद आती है और शरीर स्वाभाविक रूप से ठीक हो पाता है।
मन को शांत रखने के 7 योगासन
योग केवल शरीर को मोड़ने की कला नहीं है, यह मन और श्वास के बीच तालमेल बिठाने का एक विज्ञान है। यहाँ सात ऐसे योगासन और तकनीकें दी गई हैं जो विशेष रूप से ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने और मन को शांत रखने के लिए प्रभावी हैं। इन्हें करते समय हमेशा धीमी और गहरी श्वास पर ध्यान दें।
1. बालासन (Balasana - Child's Pose)
यह आसन पूरी तरह से समर्पण और आराम का प्रतीक है। फायदा: यह आसन तंत्रिका तंत्र (Nervous System) को शांत करता है, तनाव और थकान से तुरंत राहत देता है। यह मस्तिष्क को रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है, जो चिंता को कम करता है।
विधि:
घुटनों के बल ज़मीन पर बैठ जाएँ, एड़ियाँ एक साथ रखें।
घुटनों को थोड़ा चौड़ा करें (या शरीर के अनुसार)।
साँस छोड़ते हुए धड़ को जांघों के बीच झुकाएँ और माथे को ज़मीन पर रखें।
हाथों को या तो सामने की ओर फैलाएँ या पीछे शरीर के समानांतर रखें।
इस मुद्रा में 1 से 3 मिनट तक रहें, गहरी और लंबी साँसें लेते रहें।
2. शवासन (Savasana - Corpse Pose)
यह आसन सबसे आसान दिखता है, पर सबसे कठिन और महत्वपूर्ण है। यह योग अभ्यास का अंत है और गहरी विश्रांति (Deep Relaxation) प्रदान करता है। फायदा: यह शरीर को 'रिबूट' करता है। यह हृदय गति और रक्तचाप को सामान्य करता है, जिससे शरीर पूरी तरह से शांत हो जाता है। यह तनाव-जनित अनिद्रा को दूर करने में भी मदद करता है।
विधि:
ज़मीन पर पीठ के बल लेट जाएँ।
पैरों को थोड़ा फैलाएँ, हाथ शरीर से थोड़ी दूर रखें, हथेलियाँ आकाश की ओर हों।
आँखें बंद करें और अपने शरीर के हर अंग पर ध्यान केंद्रित करें, उन्हें पूरी तरह से ढीला छोड़ दें।
किसी भी विचार या भावना का विरोध न करें, बस उन्हें आने दें और जाने दें।
कम से कम 10 से 15 मिनट तक इस अवस्था में रहें।
3. वज्रासन (Vajrasana - Thunderbolt Pose)
यह एकमात्र आसन है जिसे भोजन के तुरंत बाद किया जा सकता है। फायदा: यह पाचन में सुधार करता है। एक शांत पेट का सीधा संबंध शांत मन से होता है। यह ध्यान के लिए भी एक स्थिर और आरामदायक मुद्रा है, जो मन को शांत रखने में मदद करती है।
विधि:
घुटनों के बल ज़मीन पर बैठ जाएँ।
जांघें पिंडलियों पर टिकी हों, पैर की उंगलियाँ बाहर की ओर और एड़ियाँ अंदर की ओर हों।
हाथों को जांघों पर रखें।
रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और आँखों को धीरे से बंद कर लें।
5 से 10 मिनट तक इस आसन में बैठें।
4. सेतुबंधासन (Setu Bandhasana - Bridge Pose)
यह एक सौम्य बैकबेंड (Gentle Backbend) है जो हृदय को पोषण देता है। फायदा: यह छाती और गर्दन को खोलता है, जिससे हृदय और फेफड़ों को अधिक जगह मिलती है। यह मस्तिष्क को शांत करता है और हल्के तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है। यह रक्त परिसंचरण (Blood Circulation) को सुधारता है।
विधि:
पीठ के बल लेट जाएँ, घुटनों को मोड़ें, पैर ज़मीन पर और कूल्हों के समानांतर रखें।
साँस लेते हुए धीरे-धीरे कूल्हों को ज़मीन से ऊपर उठाएँ।
हाथों को ज़मीन पर या नीचे इंटरलॉक (Interlock) करें।
श्वास को सामान्य रखते हुए 30 सेकंड से 1 मिनट तक रुकें।
साँस छोड़ते हुए धीरे-धीरे वापस ज़मीन पर आ जाएँ।
5. उत्तानासन (Uttanasana - Standing Forward Bend)
आगे झुकने वाले आसन तनाव और चिंता को दूर करने के लिए उत्कृष्ट होते हैं। फायदा: यह मस्तिष्क को शांत करने में मदद करता है। यह मुद्रा तनावग्रस्त पीठ और गर्दन की मांसपेशियों को फैलाती है, जो अक्सर गुस्से या चिंता के कारण अकड़ जाती हैं।
विधि:
सीधे खड़े हो जाएँ।
साँस छोड़ते हुए कूल्हों से आगे की ओर झुकें।
यदि संभव हो तो हाथों को पैरों के पास ज़मीन पर रखें। यदि नहीं, तो कोहनियों को पकड़ लें।
सिर को ज़मीन की ओर ढीला छोड़ दें।
इस मुद्रा में 30 सेकंड से 1 मिनट तक रुकें।
6. अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana - Half Lord of the Fishes Pose)
यह एक ट्विस्टिंग (Twisting) आसन है। फायदा: ट्विस्टिंग आसन रीढ़ की हड्डी के आस-पास के तनाव को मुक्त करते हैं। यह पेट के अंगों की मालिश करता है, जिससे पाचन में सुधार होता है। यह मानसिक और शारीरिक थकान को कम करने में सहायक है।
विधि:
ज़मीन पर पैर सीधे फैलाकर बैठें।
दाएँ पैर को मोड़ें और उसे बाएँ घुटने के बाहर ज़मीन पर रखें।
बाएँ पैर को मोड़ें और दाईं ओर कूल्हे के पास रखें।
बाएँ हाथ को दाएँ घुटने के ऊपर से लाएँ और दाएँ पैर के अंगूठे को पकड़ें या कोहनी से घुटने को दबाएँ।
दाएँ हाथ को पीठ के पीछे ज़मीन पर रखें।
साँस छोड़ते हुए दाईं ओर मुड़ें।
30 सेकंड के बाद दूसरी तरफ दोहराएँ।
7. प्राणायाम: नाड़ी शोधन और भ्रामरी (Pranayama: Nadi Shodhan and Bhramari)
योगासनों के बाद, श्वास नियंत्रण (प्राणायाम) मानसिक शांति के लिए सबसे शक्तिशाली उपकरण है। नाड़ी शोधन (Anulom Vilom) फायदा: यह शरीर की ऊर्जा नलिकाओं (Nadis) को शुद्ध करता है, जिससे मस्तिष्क के बाएँ और दाएँ गोलार्द्धों (Hemispheres) में संतुलन स्थापित होता है। यह उच्च रक्तचाप को कम करने में सबसे प्रभावी है। भ्रामरी (Bumble Bee Breath) फायदा: यह एक आरामदायक कंपन पैदा करता है जो तंत्रिका तंत्र को शांत करता है। यह अनिद्रा और माइग्रेन में भी राहत देता है।
विधि (नाड़ी शोधन):
आरामदायक मुद्रा में बैठें।
दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें।
बाएँ से धीरे-धीरे साँस लें।
अनामिका (Ring Finger) से बाएँ नासिका को बंद करें, अंगूठा हटाकर दाएँ से साँस छोड़ें।
दाएँ से साँस लें, अंगूठा बंद करें और बाएँ से छोड़ें। यह एक चक्र है।
विधि (भ्रामरी):
आँखें बंद करें। हाथों की तर्जनी (Index Fingers) से कानों को धीरे से बंद करें।
गहरी साँस लें और साँस छोड़ते समय, गले से "मम्म..." की आवाज़ निकालते हुए गुनगुनाएँ।
यह कंपन आपको तुरंत शांत महसूस कराएगा। इसे 5 से 7 बार दोहराएँ।
सिर्फ आसन नहीं: योग का सम्पूर्ण दृष्टिकोण
हाई बीपी और चिंता को दूर करने के लिए केवल कुछ आसन करना काफी नहीं है; योग एक समग्र जीवनशैली है। यह यम (नैतिक नियम), नियम (व्यक्तिगत अनुशासन), आसन, प्राणायाम और ध्यान का संगम है।
ध्यान (Meditation): द पावर ऑफ स्टिलनेस
ध्यान (Meditation) वह प्रक्रिया है जो मन को एक बिंदु पर केंद्रित करके अनावश्यक विचारों को शांत करती है। रोज़ाना 15-20 मिनट का ध्यान अभ्यास स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल के स्तर को कम करने में वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हुआ है। ध्यान हमें सिखाता है कि हम अपने विचारों से अलग हैं; हम उन्हें देख सकते हैं, लेकिन उनसे जुड़ नहीं सकते। यह क्षमता हमें गुस्से और चिंता की लहरों पर तुरंत प्रतिक्रिया करने से रोकती है।
आहार और योग (Diet and Yoga): सात्विक भोजन से शांत मन
योगिक दृष्टिकोण से, हमारा भोजन हमारे मन पर सीधा प्रभाव डालता है।
सात्विक आहार (Sattvik Diet): शुद्ध, ताज़ा और आसानी से पचने योग्य भोजन (फल, सब्जियां, अनाज)। यह मन को शांत और स्पष्ट रखता है।
राजसिक आहार (Rajasic Diet): अधिक मिर्च, तेल, नमक, कॉफी, चाय। यह मन में बेचैनी और उत्तेजना पैदा करता है, जो गुस्सा और चिंता बढ़ा सकता है।
तामसिक आहार (Tamasic Diet): बासी, प्रोसेस्ड (Processed), तला हुआ, मांसाहारी भोजन। यह मन में आलस्य, उदासी और जड़ता लाता है। हाई बीपी के रोगियों को सात्विक आहार पर अधिक ध्यान देना चाहिए, जो प्राकृतिक रूप से रक्तचाप को कम करने में मदद करता है।
योग निद्रा: तनाव मुक्ति का वैज्ञानिक तरीका
योग निद्रा, जिसे 'योगिक नींद' भी कहा जाता है, जागने और सोने के बीच की अवस्था है। यह चेतना की एक गहरी अवस्था है जहाँ शरीर पूरी तरह से शिथिल होता है, लेकिन मन जागरूक रहता है। यह 45 मिनट का अभ्यास 3-4 घंटे की नींद के बराबर विश्राम दे सकता है। यह शरीर में संग्रहीत भावनात्मक तनाव को मुक्त करने का एक शक्तिशाली तरीका है, जिससे क्रोनिक स्ट्रेस (Chronic Stress) और हाई बीपी में अभूतपूर्व कमी आती है।
योगाभ्यास को अपनी आदत कैसे बनाएं?
किसी भी नई आदत को बनाने के लिए छोटे कदम उठाना ज़रूरी है:
समय तय करें: हर दिन 15 मिनट का एक निश्चित समय निर्धारित करें, चाहे सुबह हो या शाम।
स्थान तय करें: घर में एक शांत कोना चुनें जहाँ आप बिना किसी रुकावट के अभ्यास कर सकें।
छोटे से शुरुआत करें: पहले दो हफ्तों तक केवल शवासन और नाड़ी शोधन प्राणायाम पर ध्यान केंद्रित करें। जब आपको आराम महसूस होने लगे, तभी अन्य आसन जोड़ें।
लक्ष्य रखें: यह मत सोचें कि आपको 3000 शब्दों का लेख पढ़ने के बाद ही सब कुछ करना है। शुरुआत 5 मिनट से भी हो सकती है। लचीलापन शरीर में नहीं, बल्कि अभ्यास में सबसे महत्वपूर्ण है।
अंतिम सलाह:
यदि आप पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर या किसी अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, तो कोई भी नया अभ्यास शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें। हाई बीपी के रोगियों को कुछ आसन (जैसे शीर्षासन - Headstand, या तीव्र बैकबेंड) से बचना चाहिए। एक प्रमाणित योग गुरु की देखरेख में योगाभ्यास शुरू करना सबसे सुरक्षित तरीका है। योग एक उपकरण है; इसका सही उपयोग आपको लंबी और स्वस्थ जिंदगी दे सकता है। आपके स्वास्थ्य की यात्रा में, योग एक सच्चा साथी साबित होगा।
निष्कर्ष
अब जब हमने यह समझ लिया है कि गुस्सा और चिंता बढ़ा रहे हैं ब्लड प्रेशर — मन को शांत रखने के 7 योगासन किस तरह हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, तो यह आवश्यक है कि हम इन ज्ञान को अपने जीवन में उतारें। ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना केवल दवाइयों पर निर्भर रहने से संभव नहीं है; इसके लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। इसलिए, यह समझना ज़रूरी है कि गुस्सा और चिंता बढ़ा रहे हैं ब्लड प्रेशर — जानिए मन को शांत रखने के 7 योगासन को अपनाकर हम न सिर्फ बीपी नियंत्रित करते हैं, बल्कि एक खुशहाल, संतुलित और तनावमुक्त जीवन भी जीते हैं। योग हमें बाहरी दुनिया को बदलने की शक्ति नहीं देता, लेकिन यह निश्चित रूप से हमें उस दुनिया पर प्रतिक्रिया करने का तरीका बदल देता है। भावनाओं को काबू में रखना सिर्फ एक आदर्श नहीं, बल्कि दीर्घायु और स्वास्थ्य की कुंजी है।
FAQs
क्या सिर्फ योगा से बीपी ठीक हो सकता है?
जवाब: हाँ, कई मामलों में शुरुआती या हल्के हाई बीपी को केवल योग, ध्यान और जीवनशैली में बदलाव से नियंत्रित किया जा सकता है। हालाँकि, यदि आपका बीपी बहुत अधिक है या आपको पहले से ही दवाइयाँ चल रही हैं, तो आपको डॉक्टर की सलाह पर ही दवाएँ जारी रखनी चाहिए और योग को एक सहायक चिकित्सा (Complementary Therapy) के रूप में अपनाना चाहिए। योग दवा की ज़रूरत को कम करने में मदद कर सकता है, लेकिन यह डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन का विकल्प नहीं है।
सवाल: हाई बीपी वालों को कौनसे आसन नहीं करने चाहिए?
जवाब: हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों को आमतौर पर ऐसे आसनों से बचना चाहिए जिनमें सिर दिल के स्तर से नीचे जाता हो या जिनमें बहुत अधिक शारीरिक बल लगता हो। इनमें शामिल हैं: शीर्षासन (Headstand), सर्वांगासन (Shoulder Stand) और अत्यधिक तीव्र बैकबेंड। इसके अलावा, साँस को बहुत देर तक रोक कर रखने वाले प्राणायाम (कुंभक) भी नहीं करने चाहिए।
सवाल: गुस्सा कम करने के लिए कौन सा प्राणायाम सबसे अच्छा है?
जवाब: गुस्सा और उत्तेजना कम करने के लिए भ्रामरी प्राणायाम (Bumble Bee Breath) और शीतली/शीतकारी प्राणायाम (Cooling Breaths) सबसे अच्छे माने जाते हैं। भ्रामरी तुरंत शांति प्रदान करता है, जबकि शीतली शरीर को भीतर से ठंडा करके मन की गर्मी (गुस्सा) को शांत करता है। नाड़ी शोधन भी गुस्से को नियंत्रित करने के लिए तंत्रिका तंत्र को संतुलित करता है।
सवाल: योग कब करना सबसे अच्छा होता है?
जवाब: योग करने का सबसे अच्छा समय ब्रह्म मुहूर्त (सूर्य उदय से पहले) माना जाता है, जब वातावरण शांत और शुद्ध होता है। हालाँकि, यदि यह संभव न हो, तो शाम को भी किया जा सकता है। ज़रूरी है कि आपका पेट खाली हो (भोजन के 3-4 घंटे बाद, या हल्के नाश्ते के 1-2 घंटे बाद)।
सवाल: योग करने से बीपी तुरंत कम हो जाता है क्या?
जवाब: योगाभ्यास, विशेषकर प्राणायाम और शवासन के तुरंत बाद, आपका रक्तचाप थोड़ा कम हो सकता है क्योंकि हृदय गति धीमी हो जाती है। लेकिन स्थायी रूप से बीपी कम करने के लिए आपको महीनों तक लगातार अभ्यास की आवश्यकता होती है। यह एक धीमी, स्थिर और प्राकृतिक प्रक्रिया है।

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