कमर दर्द सिर्फ बैठने से नहीं होता! ये 6 आदतें धीरे-धीरे बिगाड़ रही हैं रीढ़ की हड्डी

 क्या आपने कभी सोचा है कि सुबह उठते ही क्यों कमर में खिंचाव महसूस होता है, या शाम को काम से लौटते वक्त पीठ क्यों दुखने लगती है? लोग अक्सर इसे लंबे समय तक बैठने या उम्र का असर मान लेते हैं, लेकिन हकीकत में हमारी रोजमर्रा की छोटी-छोटी आदतें रीढ़ की हड्डी को चुपके से कमजोर कर रही होती हैं। अगर आप भी इस दर्द से जूझ रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए एक गाइड की तरह है। यहां हम उन 6 आदतों पर गहराई से बात करेंगे जो आपकी कमर को बिगाड़ रही हैं, साथ ही जानिए कैसे बदलें अपनी रोज़मर्रा की कमरदर्द की जिम्मेदार गलतियाँ। हम विज्ञान, असल जिंदगी के उदाहरण और आसान टिप्स के साथ इस समस्या को समझेंगे, ताकि आप दर्द मुक्त जीवन जी सकें। तो, एक गहरी सांस लीजिए, अपनी पीठ सीधी कीजिए और चलिए शुरू करते हैं इस सफर को, जहां छोटे बदलाव से बड़ी राहत मिलेगी।


कमर दर्द सिर्फ बैठने से नहीं होता! ये 6 आदतें धीरे-धीरे बिगाड़ रही हैं रीढ़ की हड्डी


कमर दर्द की छिपी हुई वजहें: क्या आप भी कर रहे हैं ये गलतियां?

कमर दर्द कोई अचानक आने वाली समस्या नहीं है। यह सालों की गलत आदतों का नतीजा होता है, जो धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करती हैं। रीढ़ हमारे शरीर का मुख्य स्तंभ है, जिसमें 33 कशेरुकाएं (वर्टिब्रा) होती हैं, और इनके बीच डिस्क्स कुशन का काम करती हैं। जब इन पर गलत दबाव पड़ता है, तो दर्द, अकड़न या यहां तक कि हर्नियेटेड डिस्क जैसी समस्याएं हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया में 80% वयस्क कमर दर्द से प्रभावित होते हैं, और इसका बड़ा कारण हमारी लाइफस्टाइल है। आइए, उन 6 आदतों को विस्तार से समझते हैं जो आपकी रीढ़ को बिगाड़ रही हैं, और हर एक के साथ कुछ अतिरिक्त पॉइंट्स जो आपको हैरान कर देंगे।


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गलत पोस्चर में खड़े या बैठे रहना: रोज की सबसे आम गलती

कल्पना कीजिए, आप पूरे दिन ऑफिस में कंप्यूटर पर काम कर रहे हैं, कंधे झुके हुए, गर्दन आगे की ओर। यह गलत पोस्चर रीढ़ की प्राकृतिक कर्व को बिगाड़ देता है, जिससे मांसपेशियों में असंतुलन पैदा होता है। समय के साथ, लोअर बैक की मसल्स कमजोर हो जाती हैं और दर्द शुरू हो जाता है। एक अमेरिकन स्टडी में पाया गया कि गलत पोस्चर से 60% लोग क्रॉनिक बैक पेन का शिकार होते हैं।


 क्या आप जानते हैं कि फोन देखते समय "टेक्स्ट नेक" नाम की समस्या होती है? यह गर्दन को 60 डिग्री झुकाती है, जो रीढ़ पर 27 किलो का दबाव डालती है—जितना एक 8 साल के बच्चे का वजन! अगर आप घंटों फोन स्क्रॉल करते हैं, तो यह आदत न सिर्फ कमर बल्कि गर्दन और कंधों को भी बिगाड़ रही है। शुरुआत में हल्का दर्द लगता है, लेकिन लंबे समय में स्पाइनल डिफॉर्मिटी का खतरा बढ़ जाता है। अगर आपका काम खड़े रहने वाला है, जैसे टीचर या सेल्स पर्सन, तो एक पैर पर ज्यादा वजन डालना भी रीढ़ को असंतुलित करता है।


भारी सामान गलत तरीके से उठाना: एक पल की जल्दबाजी, लंबा दर्द

कई लोग घर में सामान उठाते समय कमर से झुककर उठाते हैं, जो रीढ़ पर सीधा झटका देता है। सही तरीका है घुटनों से झुकना, पीठ सीधी रखना और सामान को बॉडी के करीब रखकर उठाना। लेकिन जल्दबाजी में यह गलती आम है, जिससे मांसपेशियों में स्ट्रेन या यहां तक कि स्लिप डिस्क हो सकती है। ऑक्यूपेशनल हेल्थ रिपोर्ट्स के मुताबिक, 40% बैक इंजरी इसी वजह से होती हैं।


महिलाओं में यह समस्या ज्यादा है, क्योंकि वे बाजार से भारी थैले उठाती हैं या बच्चों को गोद में गलत तरीके से लेती हैं। पुरुषों में जिम में वेट लिफ्टिंग के दौरान गलत फॉर्म से यह होता है। क्या आप जानते हैं कि 5 किलो का सामान गलत तरीके से उठाने से रीढ़ पर 50 किलो का दबाव पड़ता है? इससे नर्व्स कंप्रेस हो सकती हैं, जो पैरों में दर्द या सुन्नपन पैदा करता है। अगर आप कंस्ट्रक्शन वर्कर हैं, तो यह आदत जानलेवा भी हो सकती है।


व्यायाम की कमी और स्ट्रेचिंग न करना: सुस्ती का नतीजा

आज की सेडेंटरी लाइफस्टाइल में व्यायाम न करना कमर दर्द की जड़ है। रीढ़ को सपोर्ट करने वाली कोर मसल्स (एब्डॉमिनल और बैक मसल्स) अगर कमजोर हों, तो दबाव सीधा हड्डियों पर पड़ता है। स्ट्रेचिंग न करने से मसल्स टाइट हो जाती हैं, जिससे अकड़न और दर्द बढ़ता है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की स्टडी कहती है कि बिना व्यायाम के लोग 50% ज्यादा बैक पेन से पीड़ित होते हैं।


 क्या आप जानते हैं कि सिर्फ 10 मिनट की दैनिक स्ट्रेचिंग से 30% दर्द कम हो सकता है? लेकिन ज्यादातर लोग शाम को टीवी देखकर या सोफे पर लेटकर समय बिताते हैं। अगर आप ओवरवेट हैं, तो यह समस्या और बढ़ जाती है, क्योंकि एक्स्ट्रा फैट रीढ़ पर बोझ डालता है। महिलाओं में पोस्ट-प्रेग्नेंसी व्यायाम न करने से पेल्विक मसल्स कमजोर हो जाती हैं, जो कमर दर्द का कारण बनता है। बुजुर्गों में यह आदत ऑस्टियोपोरोसिस को न्योता देती है।


तनाव और स्ट्रेस का बढ़ना: दिमाग का दर्द, शरीर पर असर

तनाव सिर्फ मानसिक नहीं, शारीरिक समस्या भी पैदा करता है। जब हम स्ट्रेस में होते हैं, तो कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जो मांसपेशियों में टेंशन और सूजन पैदा करता है। इससे कमर की मसल्स टाइट हो जाती हैं और दर्द होता है। एक ब्रिटिश जर्नल ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट में कहा गया है कि स्ट्रेस से 25% क्रॉनिक बैक पेन होता है।


 ऑफिस वर्कर्स में डेडलाइन का प्रेशर या घरेलू झगड़े यह आदत बढ़ाते हैं। क्या आप जानते हैं कि तनाव से नींद प्रभावित होती है, और खराब नींद से मसल्स रिकवर नहीं होतीं? महिलाओं में हार्मोनल चेंजेस (जैसे मेनोपॉज) तनाव को और बढ़ाते हैं, जो कमर दर्द का ट्रिगर बनता है। अगर आप रात को चिंता में जागते रहते हैं, तो यह रीढ़ को बिगाड़ रहा है। पैंडेमिक के बाद वर्क फ्रॉम होम ने यह समस्या 40% बढ़ा दी है।


धूम्रपान की लत: सिगरेट का धुआं, कमर पर वार

धूम्रपान निकोटिन से ब्लड वेसल्स सिकुड़ते हैं, जिससे रीढ़ की डिस्क्स को ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स नहीं मिलते। इससे डिस्क्स कमजोर हो जाती हैं और दर्द बढ़ता है। अमेरिकन स्पाइन सोसाइटी के अनुसार, स्मोकर्स में बैक सर्जरी का रिस्क 3 गुना ज्यादा होता है।


 क्या आप जानते हैं कि एक पैक सिगरेट रोज पीने से स्पाइनल डिजनरेशन 20% तेज होता है? युवाओं में यह आदत फ्यूचर में ऑस्टियोआर्थराइटिस का कारण बनती है। महिलाओं में धूम्रपान से बोन्स डेंसिटी कम होती है, जो कमर को प्रभावित करती है। अगर आप चेन स्मोकर हैं, तो यह न सिर्फ फेफड़ों बल्कि पीठ को भी मार रहा है। पैसिव स्मोकिंग भी रिस्क बढ़ाती है।


गलत फुटवियर पहनना: पैरों की गलती, कमर का दर्द

हाई हील्स या फ्लैट सैंडल पहनना बॉडी का बैलेंस बिगाड़ता है, जिससे रीढ़ पर असमान दबाव पड़ता है। इससे पेल्विस टिल्ट होता है और कमर दर्द शुरू हो जाता है। एक ऑर्थोपेडिक स्टडी में पाया गया कि गलत शूज से 35% महिलाओं में बैक इश्यू होते हैं।


 पुरुषों में पुराने स्पोर्ट्स शूज से कुशनिंग कम हो जाती है, जो शॉक एब्जॉर्ब नहीं करते। क्या आप जानते हैं कि 1 इंच हील से कमर पर 22% एक्स्ट्रा प्रेशर पड़ता है? अगर आप ज्यादा चलते हैं, तो यह आदत घुटनों और हिप्स को भी प्रभावित करती है। सर्दियों में स्लिपरी शूज से गिरने का खतरा बढ़ता है, जो स्पाइनल इंजरी का कारण बन सकता है। बच्चों में गलत शूज से पोस्चर प्रॉब्लम शुरू हो जाती है।


जानिए कैसे बदलें अपनी रोज़मर्रा की कमरदर्द की जिम्मेदार गलतियाँ

जानिए कैसे बदलें अपनी रोज़मर्रा की कमरदर्द की जिम्मेदार गलतियाँ। यह कोई जटिल प्रक्रिया नहीं है, बल्कि स्टेप-बाय-स्टेप तरीके से आप अपनी आदतें सुधार सकते हैं। हर स्टेप में हम गहराई से समझेंगे कि क्यों और कैसे बदलाव लाएं, साथ ही प्रैक्टिकल टिप्स और एक्स्ट्रा पॉइंट्स। याद रखें, बदलाव में समय लगता है, लेकिन लगातार प्रयास से रिजल्ट मिलेगा। शुरू करें पहले स्टेप से।


स्टेप 1: पोस्चर को सुधारें—दिनभर की जागरूकता

पहला स्टेप है अपनी पोस्चर पर फोकस करना। बैठते समय पीठ को सपोर्ट दें, कंधे रिलैक्स रखें और पैर जमीन पर फ्लैट। अगर डेस्क जॉब है, तो मॉनिटर को आंखों के लेवल पर रखें। हर 20 मिनट में खड़े होकर स्ट्रेच करें, जैसे कंधे घुमाना या गर्दन टिल्ट।


 पोस्चर सुधारने के लिए एर्गोनॉमिक कुर्सी यूज करें, जो लम्बर सपोर्ट देती है। फोन यूज करते समय स्टैंड यूज करें ताकि झुकना न पड़े। ऐप्स जैसे पोस्चर रिमाइंडर डाउनलोड करें, जो वाइब्रेट करके अलर्ट देते हैं। अगर आप ड्राइव करते हैं, तो सीट एडजस्ट करें ताकि घुटने हिप्स से ऊपर हों। यह बदलाव 2 हफ्ते में दर्द कम कर सकता है।


प्रैक्टिकल टिप: दर्पण के सामने खड़े होकर चेक करें कि आपकी पीठ सीधी है या नहीं। रोजाना प्रैक्टिस से यह आदत बन जाएगी।


स्टेप 2: लिफ्टिंग टेक्नीक सीखें—सुरक्षा पहले

भारी सामान उठाते समय हमेशा घुटनों से झुकें, पीठ सीधी रखें और सामान को छाती के करीब रखकर उठाएं। अगर 10 किलो से ज्यादा है, तो मदद लें या ट्रॉली यूज करें। जिम में ट्रेनर से सही फॉर्म सीखें।


 यह टेक्नीक "डेडलिफ्ट" की तरह है, जो प्रोफेशनल एथलीट्स यूज करते हैं।  महिलाओं के लिए, बच्चे को उठाते समय दोनों हाथों से सपोर्ट दें और पैरों को चौड़ा रखें। अगर आप गोदाम में काम करते हैं, तो बैक ब्रेस बेल्ट यूज करें। स्टडी दिखाती है कि सही लिफ्टिंग से 70% इंजरी कम होती है।


प्रैक्टिकल टिप: घर में एक पोस्टर लगा लें जो सही तरीका दिखाए। हर बार सामान उठाते समय याद करें।


स्टेप 3: व्यायाम को रूटीन में शामिल करें—मूवमेंट है दवा

रोजाना 30 मिनट व्यायाम करें, जैसे योगा (भुजंगासन या सेतुबंधासन) या स्विमिंग। स्ट्रेचिंग में फॉरवर्ड फोल्ड या कैट-काऊ पोज ट्राई करें। अगर बिगिनर हैं, तो 10 मिनट से शुरू करें।


 व्यायाम से एंडॉर्फिन्स रिलीज होते हैं, जो दर्द कम करते हैं।  पिलाटेस या कोर एक्सरसाइज से मसल्स स्ट्रॉन्ग होती हैं। बुजुर्गों के लिए चेयर योगा बेस्ट है। अगर आप वर्किंग पैरेंट हैं, तो बच्चों के साथ डांस करें। स्टडी कहती है कि रेगुलर एक्सरसाइज से स्पाइन फ्लेक्सिबिलिटी 40% बढ़ती है।


प्रैक्टिकल टिप: ऐप्स जैसे Nike Training Club यूज करें, जो फ्री वर्कआउट देते हैं। हफ्ते में ट्रैक रखें।


स्टेप 4: तनाव कम करने के तरीके अपनाएं—माइंडफुलनेस का जादू

तनाव कम करने के लिए रोज 10 मिनट मेडिटेशन करें या डीप ब्रीदिंग प्रैक्टिस। काम के बीच ब्रेक लें, नेचर वॉक करें। अच्छी नींद लें—रात 10 बजे सोएं।


 मेडिटेशन से कोर्टिसोल लेवल 20% कम होता है।  योग निद्रा ट्राई करें, जो गहरी रिलैक्सेशन देता है। अगर जॉब स्ट्रेस है, तो हॉबी जैसे पेंटिंग अपनाएं। महिलाओं के लिए जर्नलिंग अच्छा है। स्टडी दिखाती है कि स्ट्रेस मैनेजमेंट से बैक पेन 35% कम होता है।


प्रैक्टिकल टिप: ऐप्स जैसे Calm यूज करें। परिवार से शेयर करें अपनी फीलिंग्स।


स्टेप 5: धूम्रपान छोड़ने की कोशिश करें—एक कदम सेहत की ओर

धूम्रपान छोड़ने के लिए डॉक्टर से निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी लें। व्यायाम से क्रेविंग कम करें, फ्रूट्स खाएं। दोस्तों से सपोर्ट लें।


तंबाकू छोड़ने के 1 महीने में ब्लड फ्लो बेहतर होता है।  च्यूइंग गम या पैच यूज करें। अगर चेन स्मोकर हैं, तो ग्रुप थेरेपी जॉइन करें। स्टडी कहती है कि एक्स-स्मोकर्स में बैक पेन 50% कम होता है।


प्रैक्टिकल टिप: डेट सेट करें और ट्रैक रखें। रिवार्ड सिस्टम बनाएं।


स्टेप 6: सही फुटवियर चुनें—पैरों से शुरू करें बदलाव

आरामदायक जूते चुनें, जिनमें आर्क सपोर्ट हो। हाई हील्स को वीकेंड तक लिमिट करें। अगर पैर फ्लैट हैं, तो इंसोल यूज करें।

सही शूज से बॉडी अलाइनमेंट बेहतर होता है।  ऑर्थोपेडिक डॉक्टर से कस्टम शूज बनवाएं। सर्दियों में ग्रिप वाले शूज चुनें। स्टडी दिखाती है कि सही फुटवियर से बैक पेन 45% कम होता है।


प्रैक्टिकल टिप: शॉपिंग से पहले पैर मापें। पुराने शूज 6 महीने में बदलें।


कमर दर्द से बचाव के अन्य तरीके: एक्स्ट्रा टिप्स और मिथ्स

कमर दर्द से बचने के लिए आदतें बदलने के अलावा कुछ एक्स्ट्रा तरीके अपनाएं। वजन कंट्रोल रखें, क्योंकि हर extra किलो रीढ़ पर 4 किलो दबाव डालता है। हेल्दी डाइट लें—कैल्शियम रिच फूड्स जैसे बादाम, पालक और दही। विटामिन डी के लिए सुबह की धूप लें।


नींद के दौरान हार्ड मैट्रेस यूज करें, जो पीठ को सपोर्ट दे। साइड में सोने की बजाय पीठ के बल सोएं, और घुटनों के नीचे तकिया रखें। अगर दर्द है, तो फिजियोथेरेपी लें, जहां अल्ट्रासाउंड या TENS मशीन से राहत मिलती है।


डाइट का रोल: क्या खाएं, क्या अवॉइड करें

डाइट में एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड्स शामिल करें। हल्दी, अदरक और ओमेगा-3 रिच मछली सूजन कम करती हैं। जंक फूड अवॉइड करें, क्योंकि यह वेट बढ़ाता है।


दूध और दही: कैल्शियम के लिए रोज लें।

नट्स और सीड्स: मैग्नीशियम से मसल्स रिलैक्स होती हैं।

फल जैसे केला: पोटैशियम से क्रैंप्स कम होते हैं।

ग्रीन टी: एंटीऑक्सीडेंट्स से दर्द रिलीफ।


 वेगन डाइट में सोया या क्विनोआ ऐड करें। स्टडी कहती है कि हेल्दी डाइट से 25% बैक पेन कम होता है।


घरेलू उपाय: तुरंत राहत के नुस्खे

घरेलू उपाय जैसे गर्म पानी की बोतल से सिकाई (20 मिनट) या आइस पैक से सूजन कम करें। हल्दी वाला दूध पीएं, क्योंकि कर्क्यूमिन दर्द कम करता है। एसेंशियल ऑयल मसाज ट्राई करें। लेकिन अगर दर्द के साथ सुन्नपन या कमजोरी है, तो डॉक्टर से मिलें।

 एक्यूप्रेशर पॉइंट्स दबाएं, जैसे पैरों के तलवे पर। अरोमाथेरेपी से तनाव भी कम होता है।


कमर दर्द के मिथ्स: सच्चाई जानें

मिथ 1

 कमर दर्द सिर्फ बुढ़ापे में होता है—नहीं, युवाओं में भी लाइफस्टाइल से होता है।

  मिथ 2

रेस्ट ही बेस्ट है—नहीं, मूवमेंट जरूरी है। 

मिथ 3

 दर्द निवारक दवाएं ठीक कर देंगी—वे सिर्फ सिम्पटम्स कम करती हैं, रूट कज नहीं।  

MRI हमेशा जरूरी नहीं, डॉक्टर तय करें।


कब डॉक्टर से मिलें: वॉर्निंग साइन्स

अगर दर्द 2 हफ्ते से ज्यादा है, पैरों में झनझनाहट है या बुखार के साथ है, तो तुरंत डॉक्टर जाएं। यह स्लिप डिस्क या इंफेक्शन का संकेत हो सकता है। लेकिन रेगुलर चेकअप से प्रॉब्लम जल्दी पकड़ी जा सकती है।


निष्कर्ष

कमर दर्द एक ऐसी समस्या है जो हमारी जिंदगी को प्रभावित करती है, लेकिन इसे रोका जा सकता है अगर हम अपनी आदतों पर गौर करें। कमर दर्द सिर्फ बैठने से नहीं होता! ये 6 आदतें धीरे-धीरे बिगाड़ रही हैं रीढ़ की हड्डी—गलत पोस्चर से लेकर धूम्रपान तक। जानिए कैसे बदलें अपनी रोज़मर्रा की कमरदर्द की जिम्मेदार गलतियाँ, और व्यायाम, डाइट व अन्य टिप्स से स्वस्थ रहें। याद रखें, आपका शरीर एक मशीन है, सही केयर से यह लंबे समय तक चलेगा। आज से शुरू करें, और अगर दर्द है तो इग्नोर न करें। अपनी स्टोरी शेयर करें कमेंट्स में, शायद किसी की मदद हो।


FAQs


कमर दर्द क्यों होता है?

कमर दर्द गलत आदतों जैसे गलत पोस्चर, भारी सामान उठाने या व्यायाम की कमी से होता है। रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ने से मसल्स कमजोर हो जाती हैं।


रीढ़ की हड्डी कमजोर होने के लक्षण क्या हैं?

सुबह अकड़न, दर्द, झुकने में समस्या, पैरों में सुन्नपन या कमजोरी। अगर अनदेखा करें, तो गंभीर इंजरी हो सकती है।


कमर दर्द से बचने के लिए क्या करें?

सही पोस्चर रखें, व्यायाम करें, तनाव कम करें और सही फुटवियर यूज करें। जानिए कैसे बदलें अपनी रोज़मर्रा की कमरदर्द की जिम्मेदार गलतियाँ।


धूम्रपान से कमर दर्द कैसे बढ़ता है?

धूम्रपान से ब्लड फ्लो कम होता है, डिस्क्स कमजोर होती हैं और दर्द बढ़ता है। स्मोकर्स में रिकवरी धीमी होती है।


क्या व्यायाम से कमर दर्द ठीक हो सकता है?

हां, योगा और स्ट्रेंग्थ ट्रेनिंग से मसल्स मजबूत होती हैं। रोज 30 मिनट से 50% राहत मिल सकती है।


गलत जूते पहनने से कमर दर्द क्यों होता है?

गलत जूते से बैलेंस बिगड़ता है, पेल्विस टिल्ट होता है और रीढ़ पर प्रेशर पड़ता है। आरामदायक शूज चुनें।


तनाव कमर दर्द का कारण कैसे बनता है?

तनाव से कोर्टिसोल बढ़ता है, मसल्स टाइट होती हैं। मेडिटेशन से कंट्रोल करें।


भारी सामान उठाते समय क्या सावधानी बरतें?

घुटनों से झुकें, पीठ सीधी रखें। मदद लें अगर भारी हो।


घरेलू उपाय क्या हैं कमर दर्द के?

गर्म सिकाई, हल्दी दूध, स्ट्रेचिंग। ज्यादा दर्द में डॉक्टर से मिलें।


क्या वजन बढ़ने से कमर दर्द होता है?

हां, एक्स्ट्रा वेट रीढ़ पर दबाव डालता है। हेल्दी डाइट से कंट्रोल रखें।


योगा कौन से पोज कमर दर्द में मदद करते हैं?

भुजंगासन, सेतुबंधासन, कैट-काऊ। रोज ट्राई करें, लेकिन एक्सपर्ट से सीखें।


नींद की कमी से कमर दर्द क्यों बढ़ता है?

नींद कम होने से मसल्स रिकवर नहीं होतीं, सूजन बढ़ती है। 7-8 घंटे सोएं।


ऑफिस में कमर दर्द से कैसे बचें?

हर घंटे ब्रेक लें, एर्गोनॉमिक कुर्सी यूज करें, स्ट्रेच करें।


महिलाओं में कमर दर्द के कारण क्या हैं?

हाई हील्स, प्रेग्नेंसी, घरेलू काम। व्यायाम और सही पोस्चर से बचें।


क्या स्मोकिंग छोड़ने से कमर दर्द कम होता है?

हां, 1-2 महीने में ब्लड फ्लो बेहतर होता है, दर्द कम।


क्या हल्दी कमर दर्द में फायदेमंद है?

हां, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण से सूजन कम करती है। दूध में मिलाकर पिएं।


कमर दर्द में कब डॉक्टर से मिलें?

अगर 2 हफ्ते से ज्यादा है, सुन्नपन या बुखार के साथ, तो तुरंत।


क्या सेडेंटरी जॉब कमर दर्द बढ़ाता है?

हां, लंबे समय बैठने से मसल्स कमजोर होती हैं। ब्रेक लें और वॉक करें।


विटामिन डी की कमी से कमर दर्द क्यों?

यह हड्डियां कमजोर करती है। धूप लें या सप्लीमेंट्स।


क्या मसाज से कमर दर्द ठीक होता है?

हां, रेगुलर मसाज से मसल्स रिलैक्स होती हैं, लेकिन प्रोफेशनल से कराएं।

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