7 foods जिनमें yogurt से भी ज़्यादा प्रोबायोटिक्स होते हैं, विशेषज्ञों का कहना है

 प्रोबायोटिक्स और आंत (Gut) के स्वास्थ्य की बात करें तो हमारे दिमाग में सबसे पहले दही (Yogurt) का नाम आता है। यह सालों से चला आ रहा एक प्राकृतिक उपाय है, जिसके फायदों से हम सभी परिचित हैं। इसमें कोई शक नहीं कि दही एक बेहतरीन प्रोबायोटिक स्रोत है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई ऐसे सुपरफूड्स भी हैं जिनमें "अच्छे बैक्टीरिया" की संख्या और विविधता दही से भी कहीं अधिक होती है? जी हां, विशेषज्ञ और पोषण वैज्ञानिक अब कुछ खास किण्वित (Fermented) खाद्य पदार्थों की ओर इशारा कर रहे हैं, जो हमारी आंत के माइक्रोबायोम (Microbiome) को पहले से कहीं ज़्यादा मजबूती दे सकते हैं।


7 foods जिनमें yogurt से भी ज़्यादा प्रोबायोटिक्स होते हैं, विशेषज्ञों का कहना है


 अगर आप अपनी पाचन क्रिया को बेहतर बनाने, रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) को सुधारने के लिए प्रोबायोटिक्स का सेवन कर रहे हैं, तो आपको इस लेख को पूरा पढ़ना चाहिए। आज हम उन 7 foods जिनमें yogurt से भी ज़्यादा प्रोबायोटिक्स होते हैं, विशेषज्ञों का कहना है, उनके बारे में विस्तार से जानेंगे। यह सिर्फ एक लिस्ट नहीं है, बल्कि आपकी सेहत के लिए एक व्यापक गाइड है जो आपको बताएगी कि क्यों आपको अपनी डाइट में विविधता लाने की जरूरत है। ये खाद्य पदार्थ न केवल दही की तुलना में अधिक प्रोबायोटिक स्ट्रेन प्रदान करते हैं, बल्कि वे आपके शरीर को कई अन्य आवश्यक पोषक तत्व, विटामिन और मिनरल्स भी देते हैं जो दही शायद नहीं दे पाता। चलिए, इस प्रोबायोटिक क्रांति की शुरुआत करते हैं और हर एक खाद्य पदार्थ के बारे में गहराई से समझते हैं।


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आंत का माइक्रोबायोम: क्यों है यह हमारे शरीर का दूसरा मस्तिष्क?

हमारे पेट या आंत में खरबों (Trillions) की संख्या में सूक्ष्मजीव (Microorganisms) रहते हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से आंत का माइक्रोबायोम कहा जाता है। ये सूक्ष्मजीव अच्छे और बुरे दोनों तरह के बैक्टीरिया, फंगी और वायरस का मिश्रण होते हैं। जब अच्छे बैक्टीरिया (प्रोबायोटिक्स) की संख्या अधिक होती है, तो हमारी आंत का संतुलन बना रहता है, और हम स्वस्थ महसूस करते हैं। 


आंत का स्वास्थ्य सिर्फ पाचन तक ही सीमित नहीं है; बल्कि इसका सीधा संबंध हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली, मूड, नींद और यहाँ तक कि वजन से भी है। इसीलिए विशेषज्ञ इसे 'दूसरा मस्तिष्क' (Second Brain) कहते हैं। जब हम प्रोबायोटिक युक्त भोजन करते हैं, तो हम अपनी आंत की सेना को और मजबूत करते हैं, जिससे वे हानिकारक तत्वों से लड़ सकें और भोजन से पोषक तत्वों को ठीक से अवशोषित कर सकें। 


दुर्भाग्य से, आधुनिक जीवनशैली, तनाव और एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग के कारण यह संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे पाचन संबंधी समस्याएं और कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं पैदा होती हैं। इसलिए, हमें नियमित रूप से प्रोबायोटिक्स का सेवन करना अनिवार्य हो जाता है।


प्रोबायोटिक्स बनाम प्रीबायोटिक्स: क्या है अंतर?

कई बार लोग इन दोनों शब्दों में उलझ जाते हैं। यह समझना ज़रूरी है कि ये दोनों ही आंत के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन अलग-अलग भूमिकाएं निभाते हैं। 


प्रोबायोटिक्स: ये जीवित सूक्ष्मजीव हैं, जिन्हें हम भोजन या सप्लीमेंट्स के माध्यम से खाते हैं। यही वे 'अच्छे बैक्टीरिया' हैं जो हमारी आंत में जाकर बसते हैं और स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं।


  प्रीबायोटिक्स: ये एक प्रकार के फाइबर होते हैं जिन्हें हमारा शरीर पचा नहीं पाता। ये प्रोबायोटिक्स (अच्छे बैक्टीरिया) के लिए भोजन का काम करते हैं। प्याज, लहसुन, केला और साबुत अनाज प्रीबायोटिक्स के अच्छे स्रोत हैं। एक स्वस्थ आंत के लिए आपको प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स (जिन्हें 'सिम्बायोटिक्स' कहा जाता है) दोनों का सेवन करना चाहिए।


दही से भी शक्तिशाली प्रोबायोटिक स्रोत (7 सुपरफूड्स)

अब, आइए उन 7 सुपरफूड्स के बारे में विस्तार से जानते हैं जो दही को भी पीछे छोड़ देते हैं। हर खाद्य पदार्थ की अपनी अनूठी किण्वन प्रक्रिया, प्रोबायोटिक स्ट्रेन और स्वाद होता है।


1. केफिर (Kefir): दूध का किण्वित अमृत

केफिर, जिसे अक्सर 'दूध का शैम्पेन' भी कहा जाता है, एक किण्वित दूध पेय है जिसका मूल पूर्वी यूरोप और एशिया में है। यह दही से कई मायनों में बेहतर है, खासकर प्रोबायोटिक विविधता के मामले में।


केफिर क्या है और यह कैसे बनता है?

 केफिर को केफिर ग्रेन्स (Kefir Grains) का उपयोग करके बनाया जाता है। ये 'ग्रेन्स' वास्तव में बैक्टीरिया और यीस्ट का एक सिम्बायोटिक कल्चर है, जो फूलगोभी के छोटे टुकड़ों जैसा दिखता है। जब इन ग्रेन्स को दूध में मिलाया जाता है, तो वे लैक्टोज को लैक्टिक एसिड और कार्बन डाइऑक्साइड में बदल देते हैं, जिससे यह हल्का फिजी (Fizzy) और खट्टा पेय तैयार होता है।


 दही से बेहतर क्यों?

  (प्रोबायोटिक पावर) विशेषज्ञों के अनुसार, दही में आमतौर पर लगभग 7 से 8 प्रोबायोटिक स्ट्रेन होते हैं, जबकि केफिर में 30 से 60 विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया और यीस्ट स्ट्रेन पाए जाते हैं। यह विविधता ही केफिर को दही से ज़्यादा शक्तिशाली बनाती है। ज़्यादा विविधता का मतलब है, आंत में अलग-अलग काम करने वाले बैक्टीरिया का होना, जो पाचन, प्रतिरक्षा और हार्मोनल संतुलन में मदद करते हैं। 


केफिर के पोषण लाभ


लैक्टोज सहिष्णुता: किण्वन प्रक्रिया के दौरान लैक्टोज का एक बड़ा हिस्सा टूट जाता है, जिससे यह लैक्टोज असहिष्णुता वाले लोगों के लिए दही की तुलना में पचाने में आसान हो जाता है।


प्रोटीन और कैल्शियम: यह प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस का एक उत्कृष्ट स्रोत है।


विटामिन K2: इसमें विटामिन K2 भी हो सकता है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। सेवन और खरीदारी के टिप्स


सेवन: इसे सीधा पिया जा सकता है, स्मूदी में मिलाया जा सकता है, या सलाद ड्रेसिंग के रूप में उपयोग किया जा सकता है।


खरीददारी: हमेशा सादा (Plain) और 'जीवित और सक्रिय संस्कृतियों' (Live and Active Cultures) वाला केफिर खरीदें। फ्लेवर्ड केफिर में अक्सर चीनी अधिक होती है। 


2. सौकरकूट (Sauerkraut): पत्तागोभी का खट्टा-मीठा जादू

सौकरकूट एक पारंपरिक जर्मन व्यंजन है, जो बारीक कटी हुई पत्तागोभी को नमक के साथ किण्वित करके बनाया जाता है। यह प्रोबायोटिक्स का एक अद्भुत और सरल स्रोत है।


सौकरकूट कैसे बनता है और इसकी शक्ति क्या है? 

पत्तागोभी को नमक के साथ कसकर दबाया जाता है। नमक गोभी से पानी निकालता है, और इस नमकीन पानी में प्राकृतिक रूप से मौजूद लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया (Lactobacillus bacteria) पनपने लगते हैं। यह लैक्टिक एसिड किण्वन प्रक्रिया (Lactic Acid Fermentation) है, जो गोभी को संरक्षित करती है और इसे प्रोबायोटिक पावरहाउस बनाती है। 


दही से बेहतर क्यों?

 सौकरकूट में विशेष रूप से लैक्टोबैसिलस प्लैंटरम (L. plantarum) नामक प्रोबायोटिक स्ट्रेन की मात्रा बहुत अधिक होती है। L. plantarum अपनी कठोरता के लिए जाना जाता है, यानी यह पेट के एसिड के बावजूद आंत तक जीवित पहुँचने में सक्षम होता है। दही में भी यह स्ट्रेन हो सकता है, लेकिन सौकरकूट की किण्वन प्रक्रिया इसे बड़ी मात्रा में उत्पन्न करती है। 


सौकरकूट के पोषण लाभ


विटामिन सी: गोभी में प्राकृतिक रूप से मौजूद विटामिन सी किण्वन के बाद भी बना रहता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए बहुत अच्छा है।


फाइबर: यह फाइबर से भरपूर होता है, जो प्रीबायोटिक का भी काम करता है, यानी यह आंत में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को भोजन देता है।


आयरन और फोलेट: यह आयरन और फोलेट जैसे पोषक तत्वों का भी अच्छा स्रोत है। सेवन और खरीदारी के टिप्स


खरीददारी की सावधानी: बाज़ार में मिलने वाले अधिकांश सौकरकूट को सिरके (Vinegar) में पैक किया जाता है, न कि किण्वित किया जाता है। असली प्रोबायोटिक लाभ के लिए, आपको 'कच्चा', 'अनपाश्चुरीकृत' और 'केवल गोभी, नमक और पानी' से बना सौकरकूट खरीदना होगा। यह फ्रिज वाले सेक्शन में मिलता है, न कि डिब्बाबंद सेक्शन में।


सेवन: इसे बर्गर, हॉट डॉग, या सैंडविच पर एक क्रंची टॉपिंग के रूप में डालें। सूप या सलाद में भी मिलाया जा सकता है। 


3. किम्ची (Kimchi): कोरिया का मसालेदार आंत बूस्टर

किम्ची कोरिया का राष्ट्रीय व्यंजन है, जिसे सदियों से खाया जा रहा है। यह गोभी, मूली और अन्य मौसमी सब्जियों को लहसुन, अदरक, मिर्च पाउडर और मछली सॉस जैसे मसालों के मिश्रण के साथ किण्वित करके बनाया जाता है।


किण्वन प्रक्रिया और विविधता

किण्वन प्रक्रिया और विविधता किम्ची की किण्वन प्रक्रिया सौकरकूट के समान ही है, लेकिन मसालों के जुड़ने से इसका स्वाद तीखा, नमकीन और थोड़ा खट्टा हो जाता है। किम्ची की सबसे बड़ी ताकत इसकी सामग्री की विविधता है, जो प्रोबायोटिक स्ट्रेन की विविधता को भी बढ़ाती है।


 दही से बेहतर क्यों?

 किम्ची में लैक्टोबैसिलस और बिफिडोबैक्टीरियम (Bifidobacterium) जैसे कई प्रोबायोटिक स्ट्रेन होते हैं। इसमें मौजूद मिर्च पाउडर में कैप्सैकिन (Capsaicin) होता है, जो मेटाबॉलिज्म (चयापचय) को बढ़ाता है। विशेषज्ञ इसे एक 'सिम्बायोटिक' भोजन भी मानते हैं, क्योंकि यह स्वाभाविक रूप से प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक फाइबर दोनों प्रदान करता है। 


किम्ची के पोषण लाभ

एंटीऑक्सीडेंट: लहसुन, अदरक और मिर्च जैसे मसालों के कारण किम्ची एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है।


बीटा-कैरोटीन और विटामिन: यह विटामिन ए, सी, और कुछ बी विटामिन का भी अच्छा स्रोत है।


इम्यूनिटी: इसके किण्वन से प्राप्त बैक्टीरिया को प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को मजबूत करने में सहायक माना जाता है। सेवन और खरीदारी के टिप्स


सेवन: किम्ची चावल, नूडल्स, या तले हुए अंडों के साथ एक स्वादिष्ट साइड डिश के रूप में खाया जाता है। इसे स्टू (Stew) और पैनकेक में भी इस्तेमाल किया जाता है।


खरीददारी: कोरियाई या एशियाई स्टोर पर मिलने वाला किम्ची सबसे प्रामाणिक होता है। इसे हमेशा फ्रिज में रखें, और जांच लें कि यह 'कच्चा' है। 


4. टेम्पेह (Tempeh): किण्वित सोयाबीन का प्रोटीन किंग

टेम्पेह एक इंडोनेशियाई किण्वित भोजन है, जिसे पूरे सोयाबीन को 'राइजोपस ओलिगोस्पोरस' (Rhizopus oligosporus) नामक फंगस से किण्वित करके बनाया जाता है। यह केक या पैटी जैसा दिखता है।


टेम्पेह की किण्वन प्रक्रिया

टेम्पेह की किण्वन प्रक्रिया सोयाबीन को भिगोया जाता है, छिलका उतारा जाता है और आधा पकाया जाता है। फिर इसमें फंगस का कल्चर मिलाकर किण्वन के लिए छोड़ दिया जाता है। यह फंगस सोयाबीन को एक गाढ़े, सफेद मैट में बांध देता है। 


दही से बेहतर क्यों?

 टेम्पेह में प्रोबायोटिक्स के साथ-साथ उच्च मात्रा में प्रीबायोटिक फाइबर भी होता है। किण्वन प्रक्रिया सोयाबीन के फाइटेट्स (Phytates) को तोड़ देती है, जिससे टेम्पेह दही की तुलना में पोषक तत्वों को अवशोषित करने में ज़्यादा आसान हो जाता है। यह आंत में मौजूद बिफिडोबैक्टीरिया की वृद्धि को भी बढ़ावा देता है। 


टेम्पेह के पोषण लाभ

प्रोटीन पावर: यह शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जिसमें टोफू से भी ज़्यादा प्रोटीन होता है।


फाइबर: टेम्पेह फाइबर से भरपूर होता है, जो कब्ज को रोकने और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रबंधित करने में मदद करता है।


आयरन और कैल्शियम: यह आयरन और कैल्शियम का भी अच्छा स्रोत है। सेवन और खरीदारी के टिप्स


सेवन: टेम्पेह का अपना कोई खास स्वाद नहीं होता, इसलिए इसे मसालों में मैरीनेट करके ग्रिल, बेक या फ्राई किया जाता है। यह करी, स्टिर-फ्राई और बर्गर पैटीज़ में बहुत अच्छा लगता है।


खरीददारी: टेम्पेह आमतौर पर फ्रिज या फ्रीजर सेक्शन में मिलता है। सुनिश्चित करें कि यह 'राइजोपस' किण्वन से बना है। 


5. मीसो (Miso): जापानी रसोई का गुप्त खजाना

मीसो एक पारंपरिक जापानी मसाला है, जो किण्वित सोयाबीन (या अन्य अनाज जैसे जौ या चावल) को नमक और 'कोजी' (Koji) नामक फंगस के साथ मिलाकर बनाया जाता है। यह नमकीन, उमामी (Umami) स्वाद से भरपूर पेस्ट होता है।


मीसो की किण्वन प्रक्रिया

मीसो की किण्वन प्रक्रिया कोजी फंगस को उबले हुए सोयाबीन और नमक के साथ मिलाया जाता है, और फिर इसे महीनों से लेकर सालों तक किण्वन के लिए मिट्टी के बर्तनों में रखा जाता है। यह लंबी प्रक्रिया मीसो में प्रोबायोटिक्स और डाइजेस्टिव एंजाइम (Digestive Enzymes) को बढ़ाती है। 


दही से बेहतर क्यों? 

दही की तुलना में, मीसो में किण्वन की प्रक्रिया ज़्यादा जटिल और लंबी होती है, जिससे न केवल लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया (LAB) बनते हैं, बल्कि एस्परगिलस ओरीजे (Aspergillus oryzae - कोजी) जैसे लाभकारी फंगस भी होते हैं, जो पाचन में सहायता करते हैं। इसके अलावा, मीसो में कई अमीनो एसिड भी होते हैं।


 मीसो के पोषण लाभ

खनिज और विटामिन: मीसो जिंक, मैंगनीज और विटामिन K का एक अच्छा स्रोत है।


पाचन एंजाइम: इसमें एंजाइम होते हैं जो प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट को तोड़ने में मदद करते हैं, जिससे पाचन आसान हो जाता है।


कोलेस्ट्रॉल प्रबंधन: कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि मीसो का नियमित सेवन कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक हो सकता है। सेवन और खरीदारी के टिप्स


सेवन: मीसो का सबसे आम उपयोग मीसो सूप बनाने में होता है। इसे सूप में तब मिलाएं जब पानी गैस से उतर गया हो (ताकि प्रोबायोटिक्स गर्मी से न मरें)। यह वेजिटेबल ग्लेज या मैरीनेड में भी शानदार लगता है।


मीसो के प्रकार:


शिगे मीसो (White Miso): हल्का, मीठा, कम किण्वित।


आका मीसो (Red Miso): गहरा रंग, नमकीन और तेज़ स्वाद, लंबे समय तक किण्वित। 


6. कोम्बुचा (Kombucha): फ़िज़ी चाय जो करती है कमाल

कोम्बुचा एक किण्वित चाय है जिसे SCOBY (Symbiotic Culture of Bacteria and Yeast) का उपयोग करके बनाया जाता है। यह फिजी, हल्का खट्टा और ताज़ा पेय है।


कोम्बुचा कैसे बनता है?

 मीठी चाय में SCOBY (एक जेल जैसा डिस्क) मिलाया जाता है। SCOBY चाय में मौजूद चीनी को तोड़कर एसिड (एसिटिक एसिड) और कार्बन डाइऑक्साइड (जो फिजीनेस देता है) में बदल देता है। यह प्रक्रिया प्रोबायोटिक्स की एक श्रृंखला उत्पन्न करती है। 


दही से बेहतर क्यों? 

कोम्बुचा एक ऐसा पेय है जिसमें लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया (जो दही में होते हैं) के अलावा यीस्ट और एसिटिक एसिड बैक्टीरिया भी मौजूद होते हैं। यह प्रोबायोटिक्स के विभिन्न स्ट्रेन्स का मिश्रण है, जो आंत के अलग-अलग हिस्सों में काम करते हैं। इसकी तरल प्रकृति इसे दही की तुलना में तेज़ी से शरीर में अवशोषित होने देती है। 


कोम्बुचा के पोषण लाभ

डिटॉक्सिफिकेशन: एसिटिक एसिड (सिरका जैसा तत्व) और ग्लूकोरोनिक एसिड (Glucuronic Acid) की उपस्थिति के कारण, कुछ विशेषज्ञ इसे लिवर के डिटॉक्सिफिकेशन में सहायक मानते हैं।


एंटीऑक्सीडेंट: चूंकि यह चाय से बनता है, इसमें चाय के एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं।


हाइड्रेशन: यह एक स्वादिष्ट और स्वस्थ हाइड्रेटिंग पेय है। सेवन और खरीदारी के टिप्स


सेवन: दिन में एक गिलास कोम्बुचा सबसे अच्छा है। इसे भोजन से पहले या भोजन के दौरान लिया जा सकता है।


शक्कर की मात्रा: चूंकि किण्वन के लिए चीनी आवश्यक है, इसलिए लेबल की जांच करें। कम चीनी वाले या अनफ्लेवर्ड (Unflavored) कोम्बुचा का चयन करें। 


7. प्राकृतिक रूप से किण्वित अचार (Natural Fermented Pickles): साधारण लेकिन शक्तिशाली

यहां हम उन अचारों की बात नहीं कर रहे हैं जो सिरके (Vinegar) में डाले जाते हैं। हम प्राकृतिक रूप से किण्वित अचारों की बात कर रहे हैं, जो केवल नमक, पानी और खीरे (या अन्य सब्जियां) का उपयोग करके लैक्टिक एसिड किण्वन से बनाए जाते हैं।


दही से बेहतर क्यों? 

प्राकृतिक रूप से किण्वित अचार (जैसे खीरे के अचार या गाजर के अचार) में प्रोबायोटिक्स की मात्रा दही के मुकाबले काफी अधिक हो सकती है, खासकर लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया की। दही को अक्सर एक नियंत्रित वातावरण में बनाया जाता है, जबकि इन अचारों में प्राकृतिक बैक्टीरिया जंगल की तरह फलते-फूलते हैं, जिससे उच्च सांद्रता (Concentration) मिलती है। इसके अलावा, अचार खाने में आसान और रोज़ के भोजन का हिस्सा बनने योग्य होते हैं।

 

पोषण लाभ

माइक्रोन्यूट्रिएंट्स: खीरे और अन्य सब्जियों के विटामिन और खनिज बरकरार रहते हैं।


पाचन में सहायता: किण्वित भोजन पेट में एसिड उत्पादन को भी बढ़ावा देता है, जिससे भोजन को पचाना आसान हो जाता है। सेवन और खरीदारी के टिप्स


खरीददारी की सावधानी: यह सबसे ज़रूरी टिप है। अधिकांश सुपरमार्केट अचार सिरके और पाश्चुरीकरण का उपयोग करते हैं, जिनमें प्रोबायोटिक्स नहीं होते। असली प्रोबायोटिक अचार के लिए लेबल पर 'लैक्टो किण्वित' (Lacto-Fermented) या 'नमक के घोल में किण्वित' (Fermented in Brine) लिखा होना चाहिए।


सेवन: लंच और डिनर के साथ कुछ स्लाइस लें। 


इन प्रोबायोटिक सुपरफूड्स को अपनी डाइट में कैसे शामिल करें?

प्रोबायोटिक्स का अधिकतम लाभ उठाने के लिए, आपको अपनी डाइट में विविधता लानी चाहिए। केवल एक खाद्य पदार्थ पर निर्भर न रहें।


धीरे-धीरे शुरू करें: किण्वित खाद्य पदार्थों की शुरुआत हमेशा थोड़ी मात्रा (जैसे एक चम्मच सौकरकूट या दो चम्मच केफिर) से करें। आपकी आंत को नए बैक्टीरिया से तालमेल बिठाने में समय लग सकता है।


विविधता है कुंजी: अपनी आंत को विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया प्रदान करने के लिए अलग-अलग खाद्य पदार्थों को घुमाते रहें। एक दिन केफिर, दूसरे दिन किम्ची और तीसरे दिन कोम्बुचा लें।


पकाने से बचें: प्रोबायोटिक्स जीवित होते हैं और गर्मी से मर जाते हैं। इसलिए, मीसो को छोड़कर, इन सभी खाद्य पदार्थों को कच्चे या ठंडे ही खाएं।


निष्कर्ष: आंत को स्वस्थ रखने का अंतिम रास्ता

हमने देखा कि 7 foods जिनमें yogurt से भी ज़्यादा प्रोबायोटिक्स होते हैं, विशेषज्ञों का कहना है, वे दही की तुलना में न केवल प्रोबायोटिक स्ट्रेन की अधिक संख्या प्रदान करते हैं, बल्कि वे आपकी आंत के स्वास्थ्य को एक नई दिशा देते हैं। केफिर की विशाल विविधता, सौकरकूट का मजबूत L. plantarum, किम्ची के एंटीऑक्सीडेंट्स, टेम्पेह का प्रोटीन और फाइबर, मीसो के पाचन एंजाइम, कोम्बुचा का ताज़ापन और प्राकृतिक अचार की सादगी—ये सभी आपकी आंत के माइक्रोबायोम को संतुलित और मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


 याद रखें, स्वस्थ आंत स्वस्थ जीवन की नींव है। केवल दही पर निर्भर रहने के बजाय, अब समय आ गया है कि हम अपनी रसोई में इन शक्तिशाली किण्वित खाद्य पदार्थों को जगह दें। अपनी डाइट को विविध बनाएं, लेबल को ध्यान से पढ़ें (अनपाश्चुरीकृत चुनें) और एक स्वस्थ, खुशहाल आंत का अनुभव करें। आपकी आंत आपको धन्यवाद देगी!


 FAQs

प्रश्न: क्या प्रोबायोटिक्स लेने से कोई दुष्प्रभाव (Side Effects) होता है?

उत्तर: आमतौर पर प्रोबायोटिक्स सुरक्षित होते हैं, लेकिन शुरुआत में कुछ लोगों को हल्की गैस, पेट फूलना या दस्त (Loose Motion) की समस्या हो सकती है। यह तब होता है जब आंत नए बैक्टीरिया के प्रति प्रतिक्रिया करती है। यदि आप धीरे-धीरे शुरू करते हैं, तो ये लक्षण कम हो जाते हैं। यदि आपको कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, तो सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लें।


प्रश्न: क्या प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स (Supplements) लेना इन खाद्य पदार्थों जितना ही अच्छा है? 

उत्तर: प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं, खासकर जब आपको एंटीबायोटिक्स लेने की आवश्यकता हो। हालांकि, खाद्य पदार्थों में प्रोबायोटिक्स प्राकृतिक रूप से फाइबर (प्रीबायोटिक्स) और अन्य पोषक तत्वों के साथ आते हैं। खाद्य पदार्थों से प्रोबायोटिक्स प्राप्त करने से ज़्यादा समग्र (Holistic) पोषण मिलता है, इसलिए खाद्य पदार्थों को हमेशा प्राथमिकता देनी चाहिए।


प्रश्न: मुझे कितनी मात्रा में किण्वित भोजन खाना चाहिए?

उत्तर: कोई निर्धारित मात्रा नहीं है, लेकिन अधिकांश विशेषज्ञ दिन में एक या दो बार लगभग 1/4 से 1/2 कप (या 1-2 चम्मच) किण्वित भोजन खाने की सलाह देते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात है निरंतरता (Consistency) बनाए रखना।


प्रश्न: क्या मैं घर पर ये किण्वित खाद्य पदार्थ बना सकता हूँ?

 उत्तर: हाँ, सौकरकूट, किम्ची और कोम्बुचा जैसे कई किण्वित खाद्य पदार्थ घर पर बनाना सुरक्षित और आसान है। हालांकि, स्वच्छता (Sterilization) का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है ताकि हानिकारक बैक्टीरिया न पनपें। ऑनलाइन कई विश्वसनीय रेसिपी और ट्यूटोरियल उपलब्ध हैं, लेकिन शुरुआती दौर में छोटे बैच से शुरू करें।


प्रश्न: दही क्यों इन खाद्य पदार्थों से पीछे रह जाता है? 

उत्तर: दही पीछे नहीं रहता है, लेकिन इसकी सीमा यह है कि दही बनाते समय आमतौर पर केवल दो या तीन मुख्य बैक्टीरिया स्ट्रेन (जैसे S. thermophilus और L. bulgaricus) का उपयोग किया जाता है। जबकि केफिर, किम्ची और मीसो जैसी लंबी और जटिल किण्वन प्रक्रियाएं बैक्टीरिया और यीस्ट स्ट्रेन की एक व्यापक विविधता (Diversity) उत्पन्न करती हैं, जो आंत के स्वास्थ्य के लिए ज़्यादा फायदेमंद मानी जाती है।


प्रश्न: क्या गरम और ठंडा किण्वित भोजन एक साथ खाना चाहिए? उत्तर: हाँ, इसमें कोई समस्या नहीं है। उदाहरण के लिए, आप गर्म चावल के साथ ठंडा किम्ची या मीसो सूप के साथ ठंडा अचार खा सकते हैं। 



क्या प्रोबायोटिक्स का सेवन रोज़ करना चाहिए?

हाँ, विशेषज्ञों का मानना है कि प्रोबायोटिक्स का नियमित सेवन आंत के माइक्रोबायोम को संतुलित रखने के लिए आवश्यक है। क्योंकि तनाव, आहार और पर्यावरण के कारण बैक्टीरिया का स्तर लगातार बदलता रहता है। क्या सभी किण्वित भोजन प्रोबायोटिक होते हैं? नहीं। किण्वन एक प्रक्रिया है, लेकिन अगर भोजन को किण्वन के बाद पाश्चुरीकृत (Pasteurized) कर दिया जाता है (गर्मी से उपचारित), तो उसमें मौजूद जीवित प्रोबायोटिक्स नष्ट हो जाते हैं। इसलिए, हमेशा 'कच्चे' (Raw) या 'अनपाश्चुरीकृत' (Unpasteurized) किण्वित खाद्य पदार्थों का चयन करें


 केफिर पर क्या वाटर केफिर (Water Kefir) उतना ही प्रभावी है? 

वाटर केफिर उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो डेयरी से परहेज करते हैं, लेकिन इसमें डेयरी केफिर की तुलना में प्रोबायोटिक स्ट्रेन की संख्या और विविधता थोड़ी कम हो सकती है। फिर भी, यह एक बेहतरीन प्रोबायोटिक स्रोत है। केफिर को स्टोर कैसे करें? इसे हमेशा फ्रिज में रखें। चूंकि यह जीवित है, इसलिए धीरे-धीरे किण्वन जारी रहता है, जिससे यह समय के साथ खट्टा हो सकता है।


 सौकरकूट पर क्या सौकरकूट खाने से पेट फूलता है? चूंकि यह किण्वित भोजन है और फाइबर में उच्च है, इसलिए शुरुआत में ज़्यादा मात्रा में लेने से हल्का पेट फूलना या गैस हो सकती है। हमेशा छोटे चम्मच से शुरू करें और धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाएँ।

किम्ची पर क्या किम्ची को पकाया जा सकता है?

किम्ची को पकाने से प्रोबायोटिक्स मर जाते हैं। अगर आप प्रोबायोटिक लाभ चाहते हैं, तो इसे पकाने के बाद या ठंडा ही खाएं।


मीसो पर क्या मीसो प्रोबायोटिक्स का अच्छा स्रोत है अगर इसे गर्म किया जाए?

 मीसो को उबालना या ज़्यादा गर्म करना इसके जीवित प्रोबायोटिक्स को मार देता है। प्रोबायोटिक लाभ के लिए, इसे गुनगुने या ठंडे खाद्य पदार्थों में मिलाएँ, या सूप में अंत में मिलाएँ और उबालें नहीं।


टेम्पेह पर क्या टेम्पेह को टोफू की तरह खाया जा सकता है? 

टेम्पेह का स्वाद और बनावट टोफू से काफी अलग होती है। टोफू नरम होता है, जबकि टेम्पेह दृढ़ और पौष्टिक होता है। टोफू किण्वित नहीं होता है, जबकि टेम्पेह होता है, इसलिए प्रोबायोटिक लाभ केवल टेम्पेह में ही मिलता है।


कोम्बुचा पर क्या कोम्बुचा में अल्कोहल होता है?

कोम्बुचा की किण्वन प्रक्रिया में बहुत कम मात्रा में अल्कोहल (आमतौर पर 0.5% से कम) स्वाभाविक रूप से बनता है। यह 'गैर-मादक पेय' की सीमा में आता है।


अचार पर क्या किण्वित अचार में सोडियम की मात्रा अधिक होती है? हाँ, किण्वन के लिए नमक आवश्यक होता है, इसलिए इन अचारों में सोडियम की मात्रा अधिक हो सकती है। अगर आप उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, तो इनका सेवन सीमित मात्रा में ही करें।


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